दिन की गलियों में तेरा ठिकाना ढूंढता हूँ
ए रात तुझसे मिलने का कोई बहाना ढूंढता हूँ
दुनिया की इस भीड़ में
एक मीत पुराना ढूंढता हूँ
ए रात तुझसे .......
जब यादों से बेचैन दिल को राहत आने लगे
और सपनो से बोझल पलकों पर नींद छाने लगे
तेरे आने के यही निशान ढूँढता हूँ
ए रात तुझसे मिलने का कोई बहाना ढूंढता हूँ
सुन्दर लिखा है आपने.
ReplyDeleteचिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.......भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायें.
गुलमोहर का फूल
इंसान का लेखन उसके विचारों से परिचित कराता है। ब्लोगिंग की दुनियां में आपका आना अच्छा रहा, स्वागत है. कुछ ही दिनों पहले ऐसा हमारा भी हुआ था. पिछले कुछ अरसे से खुले मंच पर समाज सेवियों का सामाजिक अंकेषण करने की धुन सवार हुई है, हो सकता है, इसमे भी आपके द्वारा लिखत-पडत की जरुरत हो?
ReplyDeleteब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है.....शुभकामनाएँ.........बहुत ही सुन्दर रचना....
ReplyDeletesabhi ko bahut shukriya is hausla afzayi k liye...
ReplyDeleteहिंदी ब्लॉग की दुनिया में आपका तहेदिल से स्वागत है...
ReplyDeleteआप की रचना प्रशंसा के योग्य है .
ReplyDeleteदुनिया की इस भीड़ में
एक मीत पुराना ढूंढता हूँ
ए रात तुझसे .......
लिखते रहिये
चिटठा जगत मैं आप का स्वागत है
गार्गी