Jun 25, 2009

मुड़ कर न देखना


वक़्त के इशारे पे,

नदी के इस किनारे से,

रुख़सत तो पड़ रहा है तुम्हे करना

बस इतनी सी गुज़ारिश है मेरे दोस्त

इस तरफ़ मुड़ कर न देखना


जाते हुए क़दमों की आहट को मैं सुन लूँगा

चुप चाप शायद रो भी लूँ,

पर कुछ न कहूँगा

पर अपनी आंखों में आए तूफ़ान से,

मेरे सब्र के बाँध की ताक़त को न परखना

बस इसीलिए गुज़ारिश है मेरे दोस्त

अब कभी मुड़ कर न देखना

Jun 17, 2009

Love (continued from earlier post)

अधखुली आंखों में एक मोती सजा कर रखा है,
यादों के धागे में एक लम्हा पिरो कर रखा है,
अब इस से ज़्यादा हासिल क्या होगा ज़िन्दगी में ,
चाहा था जिसे उसको इस दिल में छुपा कर रखा है .

Jun 3, 2009

आखिरी बात

सोचता हूँ अब इस कहानी का अंत कर दूँ
पर डरता हूँ,
अपनी कलम से आखिरी अल्फाज़ कैसे लिखूं ?

सोचता हूँ अब हर भरम को ख़तम कर दूँ
पर डरता हूँ ,
इन पन्नों पे उसका नाम कैसे लिखूं ?