तुम्हारी आवाज़ सुनकर लगता है ऐसे
लम्बे-अँधेरे सफ़र में दूर कहीं,
दिख गया हो कोई दीप जैसे
एक मुलाक़ात से महसूस होता है ऐसे
मेरे ही सपनो की गलियों में कहीं,
कोई मंजिल की राह दिखा गया हो जैसे
कभी कोई ख़याल तुम्हारा दिल को छू जाता है ऐसे
मेरी उम्मीदों के क्षितिज पर कहीं,
मिल गए हों ज़मीन और आसमान जैसे
इन सबके बाद भी अक्सर बस इस सोच में रहता हूँ
"कहीं तुम खुद कोई ख्वाब तो नहीं ?"
ये दिल मुझसे, मैं दिल से अक्सर कहता हूँ
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