Feb 21, 2010

इंतज़ार


इन आँखों को न जाने किसका इंतज़ार रहता है,

हकीकत चुभती है, और तुम्हारे ख्यालों में करार मिलता है


काटने को दौडाते हैं ये दर - ओ- दीवार और आँगन

घर छोड़ कर इस दिल को तुम्हारी राह से प्यार रहता है

इन आँखों को ...


बेमाने से लगते हैं ये कल, आज और कल

मिलने की घडी का जूनून सर पे कुछ ऐसे सवार रहता है

इन आँखों को ...


क्या कभी ख़त्म होगा ये इंतज़ार ?

क्या कभी जाऊंगा मैं इस सागर के पार ?

अब इस ज़िन्दगी का तुमसे बस ये सवाल रहता है...

इन आँखों को ...

2 comments:

  1. कौतुहल यूँ ही बना रहता है
    इन सवालों का जवाब समय देता है.

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