अभी ज़रा देर पहले ही तो खामोश बैठा था
लगता था दुनिया की सारी चीखें भी
इसे सोच से जगा नहीं पाएंगी,
चाहे कितनी भी आंधियां आयें या जाएँ
इसकी नीली आँखों में कहीं खो कर रह जाएँगी,
फिर एकाएक किसी को पुकार कर टूट सा गया
और बहने लगी धारें चमकती हुयी आँखों से,
ये आसमां भी आजकल बहुत 'मूडी' हो गया है,
इस पर भी तुम्हारी संगत का असर आ रहा है...
लगता था दुनिया की सारी चीखें भी
इसे सोच से जगा नहीं पाएंगी,
चाहे कितनी भी आंधियां आयें या जाएँ
इसकी नीली आँखों में कहीं खो कर रह जाएँगी,
फिर एकाएक किसी को पुकार कर टूट सा गया
और बहने लगी धारें चमकती हुयी आँखों से,
ये आसमां भी आजकल बहुत 'मूडी' हो गया है,
इस पर भी तुम्हारी संगत का असर आ रहा है...
एहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब
ReplyDeleteधन्यवाद!
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