तुमने हमेशा लम्हों को यादों की ज़ंजीरों से बांधना चाहा
हर सपने को हकीक़त की सीमाओं में क़ैद किया
खूबसूरती को तस्वीरों में छुपाने की कोशिशें की
और अपने इर्द-गिर्द अपनी ही चाहत का किला बनाया,
और आज तुम आज़ादी की बात करते हो?
ये बिन जाने,
कि जिन बन्धनों में बाँध रहे हो तुम
हर सपने को हकीक़त की सीमाओं में क़ैद किया
खूबसूरती को तस्वीरों में छुपाने की कोशिशें की
और अपने इर्द-गिर्द अपनी ही चाहत का किला बनाया,
और आज तुम आज़ादी की बात करते हो?
ये बिन जाने,
कि जिन बन्धनों में बाँध रहे हो तुम
ख़ुद उनमें उलझते से जा रहे हो ...