Dec 2, 2009

न जाने क्यूँ

न जाने क्यूँ
छू न पाना चाँद को
उसकी खूबसूरती को बढ़ा जाता है,
कह न पाना उस बात को
उसकी एहमियत को जता जाता है,
और न जाने क्यूँ
मिलना तुमसे दो पल का,
दूरियों का एहसास दिला जाता है

4 comments: