जंजीरों में कुछ अलग सा सुकून होगा,
जो आज़ादी की चाहत के दर्द को भुला देती हैं
भीड़ में भी कुछ अजीब ही राहत होगी,
जो अपने वुजूद की टीस को छुपा देती है,
मज़हब और मुल्क भी खुदा ने ही बनाये होंगे,
जो इंसान होने के भरम को मिटा देते हैं...
जो आज़ादी की चाहत के दर्द को भुला देती हैं
भीड़ में भी कुछ अजीब ही राहत होगी,
जो अपने वुजूद की टीस को छुपा देती है,
मज़हब और मुल्क भी खुदा ने ही बनाये होंगे,
जो इंसान होने के भरम को मिटा देते हैं...
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