1. कितने भी करीने से सजा लो ज़हन की दुनिया,
उसकी आँखों की फ़कत दो बूंदें सब उलझा देती हैं...
कुछ मैं भी बुरा हूँ ....
उसकी आँखों की फ़कत दो बूंदें सब उलझा देती हैं...
(#Delhi Rains)
2. किस किस को अपनी बर्बादियों का ज़िम्मा दूँ,
कुछ माहौल खराब थे कहींकुछ मैं भी बुरा हूँ ....
3. फुर्सत है होती तब उलझ जाता हूँ अपनी जिंदगी में मैं
पर जब जिंदगी फुर्सत नहीं देती तो चाँद बहुत प्यारा लगता है...
4. जब आखिरी बार मुड कर देखा तो कमरा खाली था
पर क्या छोड़ जा रहा हूँ यहाँ इसका कुछ हिसाब नहीं बनता...
(last update from XL)
5. पेड़ की टहनियों में उलझ कर चाँद, आज मेरी खिडकी के पास ही रुक गया
मैं ये समझा की मेरी ही तरह वो भी, अपनी राह से भटक गया...