अपने खाली से मन को भरने के लिए,
इस भारी से लम्हे का बोझ कुछ कम करने के लिए
मैं एक गीत की तलाश में कहाँ कहाँ न गया ...
कुछ अतीत की गलियाँ छानी,
जहाँ बस बीते यादों की धूल मिली
कुछ सपनो की बुनी कहानी,
जो किसी मरीचिका सी दूर रही
कभी प्रीत की डोर भी थामी
पर वो भी कुछ कमज़ोर रही
मंदिर देखे, किताबें ढूंढी,
पर निशाँ न था उसका कहीं
जब एक दिन थक हार कर बैठा
और अपने उसी खाली से मन को देखा
तो उसकी ही गहराइयों में कहीं
इसी लम्हे की गोद में बस वहीं
हर खालीपन को भरता हुआ
हर बोझ को कम करता हुआ
हर नज़र से अनदेखा हुआ
वो गीत हमेशा यहीं था
वो गीत हमेशा यहीं था ...
impressive
ReplyDeletethnx doc
ReplyDelete@ sushant: It's more about searching for peace which can't be found anywhere else than your own heart
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