लहरों की तल्ह्टों में कहीं दबी हुयी सी
तूफानों के शोर में कहीं घुली हुयी सी
दुनिया की भाग दौड़ में कहीं मिली हुयी सी
खामोशियाँ गूंजने लगी हैं आजकल कुछ इस तरह
की अपनी आवाजें न सुनना मुश्किल सा होने लगा है,
अँधेरे कोनों से पुकारती हुयी सी
गर्म सी साँसों को कंपाती हुयी सी
ठहरे ख्यालों को हिलाती हुयी सी
खामोशियाँ मचलने लगी हैं आजकल कुछ इस तरह
की अब भी कुछ न कहना नामुमकिन सा हो गया है...