May 8, 2009

रात

दिन की गलियों में तेरा ठिकाना ढूंढता हूँ
रात तुझसे मिलने का कोई बहाना ढूंढता हूँ

दुनिया की इस भीड़ में
एक मीत पुराना ढूंढता हूँ
ए रात तुझसे .......

जब यादों से बेचैन दिल को राहत आने लगे
और सपनो से बोझल पलकों पर नींद छाने लगे
तेरे आने के यही निशान ढूँढता हूँ
ए रात तुझसे मिलने का कोई बहाना ढूंढता हूँ

6 comments:

  1. सुन्दर लिखा है आपने.

    चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.......भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायें.

    गुलमोहर का फूल

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  2. इंसान का लेखन उसके विचारों से परिचित कराता है। ब्लोगिंग की दुनियां में आपका आना अच्छा रहा, स्वागत है. कुछ ही दिनों पहले ऐसा हमारा भी हुआ था. पिछले कुछ अरसे से खुले मंच पर समाज सेवियों का सामाजिक अंकेषण करने की धुन सवार हुई है, हो सकता है, इसमे भी आपके द्वारा लिखत-पडत की जरुरत हो?

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  3. ब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है.....शुभकामनाएँ.........बहुत ही सुन्दर रचना....

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  4. sabhi ko bahut shukriya is hausla afzayi k liye...

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  5. हिंदी ब्लॉग की दुनिया में आपका तहेदिल से स्वागत है...

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  6. आप की रचना प्रशंसा के योग्य है .

    दुनिया की इस भीड़ में
    एक मीत पुराना ढूंढता हूँ
    ए रात तुझसे .......
    लिखते रहिये
    चिटठा जगत मैं आप का स्वागत है

    गार्गी

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